PLC Full Form
PLC की Full Form Programmable Logic Controller है।
PLC Introduction
Programmable Logic Controller(PLC) के जनक अमेरिका के मैकेनिकल इंजीनियर रिचर्ड् इ. डिक मोर्ले को माना जाता है।
PLC एक डिजिटल कंप्यूटर यूनिट है। जिसका उपयोग मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में या रोबोटिक मशीनों में विभिन्न प्रकार की इलेक्ट्रो-मकेनिकल क्रियाओं को प्रोग्राम द्वारा नियंत्रण या स्वचालन (Control and Automation) करने के लिए किया जाता है।
यह एक छोटा और सघन (Compact) तरह का डिजिटल कंप्यूटर है। ये सामान्य कंप्यूटर से काफी अलग होता है। यह किसी भी प्रकार के वातावरण के उतार चढ़ाव को सहन कर सकता है इसलिए इंडस्ट्री में यूज़ किया जाता है।
PLC से पहले कंट्रोल और लॉजिक के लिए इलेक्ट्रो-मैकेनिकल रिले (Relay Logic Controller या RLC) का उपयोग होता था। जिसमें सिस्टम कम भरोशेमन्द रहता था। जबकि सर्किट भी जटिल होता था। सॉलिड स्टेट डिवाइस Semiconductors के आने के बाद डिजिटल कंप्यूटर्स विकसित किये गए जो कि प्रोग्रामेबल थे। अतः सर्किट सरल हुआ। और इनमें Instructions (प्रोग्राम) को फीड करके प्रोग्राम को Execute (रिजल्ट) किया जा सकता था।
PLC Basic Block Diagram
ऊपर दिए गए ब्लॉक डायग्राम में PLC के मुख्य भागों को दिखाया गया है। जिसको हम आसान भाषा में समझते हैं।
Power Supply:
PLC की ऑपरेटिंग वोल्टेज 24V-DC होती है। इसलिए Power supply का काम इनपुट से 240V या 120V(अमेरिका) AC सप्लाई को लेकर उसे 24V DC में बदलना होता है। ये एक इन्वर्टर सर्किट है।
Central Processing Unit (CPU):
यह PLC के ब्रेन की तरह काम करता है जो एक
Mircoprocessor या Microcontroller हो सकता है।पावर सप्लाई और मेमोरी, CPU यूनिट का ही भाग है। CPU, Input Module से इनपुट सिग्नल को रिसीव करता है और उस सिग्नल में प्रोग्राम के अनुसार क्रिया करने के बाद Output Module को भेज देता है।
यूजर द्वारा जो भी प्रोग्राम या इंस्ट्रक्शन CPU को दिया जाता है वह मेमोरी में स्टोर रहता है।
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Input/Output Module:
PLC में दो प्रकार के I/O module होने के कारण PLC भी दो प्रकार की होती हैं। एक जिसमे फिक्स्ड संख्या में I/O कार्ड्स होते हैं जिसे Monolithic Type PLC कहते हैं। दूसरा जिसमे आवश्यकता अनुसार I/O की संख्या को बदला जा सकता है। जिनको Modular Type PLC कहते हैं।
Modular Type PLC का एक बहुत बड़ा फायदा ये है कि इसमें I/O module के खराब होने पर पूरी PLC यूनिट को नही बदलना पड़ता है। केवल खराब मॉड्यूल को बदल सकते हैं।जबकि Monolithic Type PLC में यूनिट ही बदलना पड़ता है।
इनपुट से सिग्नल इनपुट मॉड्यूल में आता है जिसे कंट्रोलर (CPU) प्रोसेस करने के बाद आउटपुट मॉड्यूल को भेजता है।
प्रोग्रामेबल कम्प्यूटर:
यूजर द्वारा जो भी प्रोग्राम लिखा जाता है उसे इथरनेट केबल के द्वारा PLC के कम्युनिकेशन पोर्ट से PLC के मेमोरी यूनिट में ट्रांसफर कर दिया जाता है। प्रोग्राम करने के लिए सभी PLC के सॉफ्टवेयर साथ में मिल जाते हैं। प्रोग्राम करने के लिए लैपटॉप या कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर लेते हैं।
Programmable Logic Controller के फायदे
1- फ्लेक्सिबल आपरेशन:
बहुत सी अलग-अलग क्रियाओं को एक ही PLC द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है। और इनपुट में Temprature, Humadity, Pressure, Speed आदि भौतिक राशियों को पढ़ कर समान विद्युत आउटपुट जेनेरेट करता है।
2- आसान मेंटेनेंस:
RLC या रिले लॉजिक कन्ट्रोलर का मेंटेनेंस PLC से काफी मुश्किल होता है।
3- आसान ट्रबलशूट:
किसी error को ढूढ कर उसको ठीक करना ज्यादा आसान होता है। लेकिन रिले परिपथ में बहुत से वायर कनेक्शन होने के कारण मुश्किल होता है।
4- टाइम सेविंग:
मेंटेनेंस और ट्रबलशूटिंग जल्दी होने के कारण टाइम भी बचता है।
5- इकोनोमिकल या सस्ता:
शुरुवाती कॉस्ट PLC की अधिक हो सकती है लेकिन समय के साथ दूसरे ऑटोमेशन टेक्नोलॉजी से ये सस्ती हो जाती है।
6- इंस्टालेशन आसान:
PLC यूनिट जल्दी इनस्टॉल होता है। PLC के साथ प्रोग्रामेबल सॉफ्टवेयर भी होता है जो हार्ड वायर कनेक्शन से पहले प्रोग्राम किया जा सकता है।
Programmable Logic Controller Example
1- ट्रेडिशनल तरीके से किसी बल्ब को आउटपुट में कंट्रोल करने के लिए बल्ब को पुश-बटन और टाइमर के साथ सीधा जोड़ दिया जाता है। लेेकिन PLC के साथ, पुश-बटन और बल्ब के बीच PLC रहता है जो प्रोग्राम के अनुसार बल्ब को कंट्रोल कर सकता है।
2- मान लेते हैं हमको कुछ मोटरों को कंट्रोल (फारवर्ड-रिवर्स या ऑन/ऑफ या स्पीड या डिले) करना है तब ट्रेडिशनल तरीके में परिपथ बड़ा और जटिल होगा। लेकिन PLC में सभी मोटर को प्रोग्राम में बदलाव के द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है। भविष्य में भी आउटपुट में बदलाव करने के लिए परिपथ नहीं, केवल प्रोग्राम बदलने की आवश्यकता होगी। PLC का ये बहुत बड़ा एडवांटेज है।
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